यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं - The Indic Lyrics Database

यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं

गीतकार - शकील | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अंदाज़ | वर्ष - 1949

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यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं

यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं

मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं

ल : हैं ज़माने में अजब चीज़ मोहब्बत वाले

हैं ज़माने में अजब चीज़ मोहब्बत वाले

दर्द ख़ुद बनते हैं ख़ुद अपनी दवा होते हैं

दो : मिलने वाले कहीं

र : हाँ

हालएदिल मुझसे न पूछो मेरी नज़रें देखो

हालएदिल मुझसे न पूछो मेरी नज़रें देखो

राज़ दिल के तो निगाहों से अदा होते हैं

दो : मिलने वाले कहीं

ल : मिलने को यूँ तो मिला करती हैं सबकी आँखें

मिलने को यूँ तो मिला करती हैं सबकी आँखें

दिल के आ जाने के अन्दाज़ जुदा होते हैं

दो : यूँ तो आपस में

र : ऐसे हँसहँस के न देखा करो तुम सबकी तरफ़

ऐसे हँसहँस के न देखा करो तुम सबकी तरफ़

लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं

दो : यूँ तो आपस में