निगाह ए नाज़ के मारों का हाल क्या होगा - The Indic Lyrics Database

निगाह ए नाज़ के मारों का हाल क्या होगा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोंसले, सुधा मल्होत्रा, शंकर शंभू | संगीत - रोशन | फ़िल्म - | वर्ष - 1960

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अदा बिजली, बदन शोला, भँवे खंजर, नज़र क़ातिल
गलत क्या है हमें कहती है ये दुनिया अगर क़ातिल
तो फिरनिगाह-ए-नाज़ के मारों का हाल क्या होगा
न बच सके तो बेचारों का हाल क्या होगाहमी ने इश्क़ के (ज़रा देखो) क़ाबिल बना दिया है तुम्हे
हमी न हो तो नज़ारों का हाल क्या होगाहमारे हुस्न की बिजली चमक्ने वाली है
न जाने आज हज़रों का हाल क्या होगाबहार-ए-हुस्न सलामत खिज़ा से पूछ ज़रा
क्या? के चार दिन में बहारों का हाल क्या होगारंग पर नाज़ न कर क्यों की रंग बदल जाता है
ये वो महमाँ है जो आज आता है कल जाता है
इश्क़ पर नाज़ करे कोइ तो कुछ बात भी है
हुस्न का नाज़ ही क्या, हुस्न तो ढल जाता है
बहर-ए-हुस्न सलामत खिज़ा से पूछ ज़रा
के चार दिन में बहारों का हाल क्या होगाtaranaहम अपने चेहरे से पदर्आ उठा तो दे लेकिन
गरीब चाँद-सितारों का हाल क्या होगामुक़ाबला है तो फिर देर क्या है तीर चला