हम चीज़ हैं बड़े काम की, यारम - The Indic Lyrics Database

हम चीज़ हैं बड़े काम की, यारम

गीतकार - गुलशन बावरा | गायक - मन्ना डे | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - ज़ंजीर | वर्ष - 1973

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हम चीज़ हैं बड़े काम की, यारम
हमें काम पे रख लो कभी, यारम
सूरज से पहले जगाएंगे
और अख़बार की सब सुर्ख़ियां हम गुनगुनाएंगे
पेश करेंगे, गर्म चाय फिर
कोई ख़बर आई ना पसंद तो एण्ड बदल देंगे
मुँह खुली जम्हाई पर, हम बजाएँ चुटकियां
धूप ना तुमको लगे खोल देंगे छतरियां
पीछे पीछे दिन भर
घर दफ़्तर में लेके चलेंगे हम
तुम्हारी फाइलें, तुम्हारी डायरी
गाड़ी की चाबियाँ, तुम्हारी ऐनकें
तुम्हारा लॅपटॉप, तुम्हारी कैप, फोन
और अपना दिल, कंवारा दिल
प्यार में हारा बेचारा दिल
ये कहने में कुछ रिस्क है, यारम
नाराज़ ना हो, इश्क़ है, यारम
हो रात, सवेरे, शाम या दोपहरी
बन्द आँखों में लेके तुम्हें ऊंघा करेंगे हम
तकिए, चादर, महके रहते हैं
जो तुम गये तुम्हारी खुशबू सूँघा करेंगे हम
ओ, ज़ुल्फ़ में फंसी हुई खोले देंगे बालियाँ
कान खिंच जाए अगर, खा लें मीठी गालियाँ
चुनते चले पैरों के निशां
कि उन पर और ना पांव पड़े
तुम्हारी धड़कनें तुम्हारा दिल सुने
तुम्हारी सांस में लगी कँपकँपी
हाँ गजरे बुने, जूही-मोगरा तो कभी दिल
हमारा दिल, प्यार में हारा बेचारा दिल
हमारा दिल, कंवारा दिल
प्यार में हारा बेचारा दिल