ये ज़िंदगी के मेले - The Indic Lyrics Database

ये ज़िंदगी के मेले

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशादी | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1948

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ये ज़िंदगी के मेले

ये ज़िंदगी के मेले , दुनिया में कम न होंगे

अफ़सोस हम न होंगे

इक दिन पड़ेगा जाना, क्या वक़्त, क्या ज़माना

कोई न साथ देगा, सब कुछ यहीं रहेगा

जाएंगे हम अकेले, ये ज़िंदगी

दुनिया है मौजएदरिया, क़तरे की ज़िंदगी क्या

पानी में मिल के पानी, अंजाम ये के पानी

दम भर को सांस ले ले, ये ज़िंदगी

होंगी यही बहारें, उल्फ़त की यादगारें

बिगड़ेगी और चलेगी, दुनिया यही रहेगी

होंगे यही झमेले, ये ज़िंदगी