कैसे कोई जिये जहर है जिंदगी उठा तूफान - The Indic Lyrics Database

कैसे कोई जिये जहर है जिंदगी उठा तूफान

गीतकार - इन्दीवर | गायक - गीता दत्त | संगीत - तिमिर बरन-एस के पाल | फ़िल्म - बड़बान | वर्ष - 1954

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कैसे कोई जिये -२
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जियेबादल हैं या धुआँ
आग़ लगी कहाँ
जलता न हो कहीं
मेरा ही आशियाँ
अन्गारे थे आँसू नहीं वो
दिल ने जो पियेकैसे कोई जिये
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जियेतारे ना जानें
ऊँचाई गगन की
आँखें ना समझें
गहराई मन की -२
तारे ना जानें
प्यासे पपीहे ने
आस थी बाँधी
उड़ गये बादल
आ गई आँधी
ग़म ने जो छेड़ा
दिल ने हँसी से
होँठ सी लियेकैसे कोई जिये
ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो
उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये
कैसे कोई जिये