यार चुलबुला है, हसीन दिलरुबा है - The Indic Lyrics Database

यार चुलबुला है, हसीन दिलरुबा है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - नरेंद्र चंचल | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - बेनाम | वर्ष - 1974

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यार चुलबुला है, हसीन दिलरुबा है
झूठ बोलता है मगर ज़रा ज़रा
तो बोलो जी फिर क्या करे दीवाना
ये किसे पता है ये हुस्न की अदा है
तुमको दिल दिया है मगर ज़रा ज़रा
तो देखो जी धोख़े में आ न जाना
छोड़ो शरारत शबाब के हैं दिन
बचपन के शायद जनाब के हैं दिन
बस इसी अदा पे हम सनम तुम्हारे हो लिए
किस तरह यक़ीन हमको आए ये तो बोलिए
तो सुन लो तो सुन लो
तो सुन सुन सुन सुन सुन
तो सुन लो जी कहता है क्या ज़माना
तो देखो जी धोख़े में आ न जाना
उलझे से बालों का है ये हाल क्या
तुमने जो देखा तो आ गया नशा
चल रहा है तीर दिल बचाइए बचाइए
पहले नैनों की झुकी कमान तो उठाइए
तो देखो, ते देखो, तो दे दे दे दे दे
तो देखो जी दिल हो गया निशाना
तो बोलो जी फिर क्या करे दीवाना
ऐसे हसीनों का ऐतबार क्या
अच्छा तो हो तकते बार बार क्या
देखता हूँ किसने ये हसीं शक्ल बनाई है
ऐसा लग रहा है तुमने गहरी चोट खाई है
तो देखो, ते देखो, तो दे दे दे दे दे
तो देखो जी इस दिल का तिलमिलाना
तो देखो जी धोख़े में आ न जाना