याद में तेरी जाग जाग के हम - The Indic Lyrics Database

याद में तेरी जाग जाग के हम

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दिल एक मंदिर | वर्ष - 1963

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याद में तेरी जाग जाग के हम
रातभर करवटें बदलते हैं
हरघड़ी दिल में तेरी उल्फत के
धीमें धीमें चराग़ जलते हैं
जब से तूने निगाह फेरी है
दिन है सुना, तो रात अंधेरी है
चाँद भी अब नज़र नहीं आता
अब सितारे भी कम निकलते हैं
लूट गयी वो बहार की महफ़िल
छुट गयी हम से प्यार की मंज़िल
ज़िन्दगी की उदास राहों मे
तेरी यादों के साथ चलते है
तुझ को पा कर हमें बहार मिली
तुझ से छूटकर मगर ये बात खुली
बाग़बान भी चमन के फूलों को
अपने पैरो से खुद मसलते हैं
क्या कहे तुझ से क्यों हुई दूरी
हम समझतें हैं अपनी मजबूरी
तुझ को मालूम क्या के तेरे लिए
दिल के गम आसूओं में ढलते हैं