हज़ार राहें मुड़ के देखी, कहीं से कोई सदा ना आई - The Indic Lyrics Database

हज़ार राहें मुड़ के देखी, कहीं से कोई सदा ना आई

गीतकार - गुलजार | गायक - लता - किशोर | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - थोडीसी बेवफ़ाई | वर्ष - 1980

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हज़ार राहें मुड़ के देखीं
कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
जहाँ से तुम मोड़ मुड़ गए थे
ये मोड़ अब भी वहीं पड़े हैं
हम अपने पैरों में जाने कितने
भंवर लपेटे हुए खड़े हैं
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता
हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुज़ारी मर के
वो रात तुम ने गुज़ारी होती
तुम्हें ये ज़िद थी के हम बुलाते
हमें ये उम्मीद वो पुकारें
है नाम होठों पे अब भी लेकिन
आवाज़ में पड़ गई दरारें