सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से - The Indic Lyrics Database

सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दुश्मन | वर्ष - 1971

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सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से
कि खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से
मैं इन्तज़ार करूं, ये दिल निसार करूं
मैं तुझसे प्यार करुं, हो मगर कैसे ऐतबार करूं
झूठा है तेरा वादा
वादा तेरा वादा, वादा तेरा वादा
वादे पे तेरे मारा गया बंदा मैं सीधा-सादा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ है या सड़क का मोड़ है ये
तुम्हारी आँख है या नशे का तोड़ है ये
कहा कब क्या किसी से तुम्हें कुछ याद नहीं
हमारे सामने है हमारे बाद नहीं
किताब-ए-हुस्न में तो वफ़ा का नाम नहीं
अरे मोहब्बत तुम करोगी तुम्हारा काम नहीं
अगरचे ख़ूब हो तुम मेरी मेहबूब हो तुम
निगाह-ए-गैर से भी मगर मंसूब हो तुम
किसी शायर से पूछो ग़ज़ल हो या रुबाई
भरी है शायरी में तुम्हारी बेवफ़ाई
हो दामन में तेरे फूल हैं कम और काँटे है ज्यादा
तराने जानती है, फ़साने जानती है
कई दिल तोड़ने के बहाने जानती है
कहीं पे सोज है तू कहीं पे साज़ है तू
जिसे समझा न कोई वही एक राज़ है तू
कभी तू रूठ बैठी कभी तू मुस्क़राई
अरे किसी से की मोहब्बत किसी से बेवफ़ाई
उड़ाए होश तौबा तेरी आँखें शराबी
ज़माने में हुई है इन्हीं से हर खराबी
बुलाये छाँव कोई पुकारे धूप कोई
तेरा है रंग कोई तेरा है रूप कोई
हो कुछ फर्क नहीं नाम तेरा रज़िया हो या राधा