हज़ार ख़्वाब हक़ीक़त का रूप ले लेंगे - The Indic Lyrics Database

हज़ार ख़्वाब हक़ीक़त का रूप ले लेंगे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले - महेन्द्र कपूर | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - इन्साफ का तराज़ू | वर्ष - 1980

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हज़ार ख़्वाब हक़ीक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है तुम मुस्कुराके हाँ कह दो
मोहब्बतों में है दोनों का एक ही मतलब
अदा से ना कहो मुस्कुरा के हाँ कह दो
हज़ार ख़्वाब बहारों के और सितारों के
तुम्हारे साथ मेरी ज़िन्दगी में आये हैं
तुम्हारी बाहों के झूले में झुलने के लिए
मचल मचल के मेरे अंग गुनगुनाए हैं
ये सारे शौक़, सारे शौक़, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है तुम मुस्कुराके हाँ कह दो
भरेगी माँग तुम्हारी वो दिन भी क्या होगा
सजेगी सेज हवाओं की सांस महकेगी
तुम अपने हाथ से सरकाओगे मेरा आँचल
अजीब आग मेरे तन बदन में दहकेगी
ये सारे शौक़, सारे शौक़, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है तुम मुस्कुराके हाँ कह दो
मैं अपनी ज़ुल्फ़ों के साए बिछाऊँगी तुम पर
मैं तुम पे अपनी जवां धड़कनें लुटाऊँगा
मैं सुबह तुमको जगाऊँगी लब पे लब रखकर
मैं तुमको भींच के कुछ और पास लाऊंगा
ये सारे शौक़, सारे शौक़, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है तुम मुस्कुराके हाँ कह दो