सूरज हुआ मद्धम चांद जलने लगा ... - The Indic Lyrics Database

सूरज हुआ मद्धम चांद जलने लगा ...

गीतकार - समीर | गायक - सुनिधि चौहान, सोनू निगम | संगीत - संदीप चौथा | फ़िल्म - जंगल | वर्ष - 2000

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सूरज हुआ मद्धम चाँद जलने लगा
आसमाँ ये हाय क्यों पिघलने लगा
सूरज हुआ मद्धम चाँद जलने लगा
आसमाँ ये हाय क्यों पिघलने लगा

मैं ठहरा रहा जमीं चलने लगी
धड़का ये दिल सांस थमने लगी
ओ क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है
सजना क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है..


हो ..आ…
सूरज हुआ मद्धम चाँद जलने लगा
आसमाँ ये हाय क्यों पिघलने लगा
मैं ठहरी रही जमीं चलने लगी
धड़का ये दिल सांस थमने लगी
ओ क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है
सजना क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है..

है खूबसूरत ये पल
सब कुछ रहा है बदल
सपने हकीकत में जो ढल रहे हैं
क्या सदियों से पुराना
है रिश्ता ये हमारा
के जिस तरह तुम से हम मिल रहे है


यूँ ही रहे हरदम प्यार का मौसम
यूँ ही मिलो हम से तुम जनम जनम
मैं ठहरा रहा जमीं चलने लगी
धड़का ये दिल सांस थमने लगी
आ.. क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है
सजना क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है..

तेरे ही रंग से यूँ में तो रंगी हूँ सनम
पाके तुझे खुद से ही खो रहीं हूँ सनम
ओ माहिया वे तेरे इश्क में
हाँ डूब के पार मैं हो रही हूँ सनम


सागर हुआ प्यासा रात जगने लगी
शोलो के दिल में भी आग जलने लगी
मैं ठहरी रही जमीं चलने लगी
धड़का ये दिल सांस थमने लगी
क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है
सजना क्या ये मेरा पहला पहला प्यार है


सूरज हुआ मद्धम चाँद जलने लगा
आसमान ये हाय क्यों पिघलने लगा
सजना क्या यह मेरा पहला पहला प्यार है..

जलता रहे सुरज चाँद रहे मद्धम
ये ख्वाब है मुस्किल ना मिल सकेंगे हम