माटी का पलंग - The Indic Lyrics Database

माटी का पलंग

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2015

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माटी के खंबे सारे
पानी के संग बहे
जीवन के रंग
माया है जीत साड़ी
माया है ये जंग
आखरी मंज़िल सभी की
माटी का पलंग
माटी का पलंग

सौ सौ की पलकें
संभल के पटरी से उतर जाएँ
नब्ज़ों के कलियारे
टुकड़ों में बिखरे सारे
माटी का मकान तो है कच्चा सा
धुल में मिलेगा कटरा-कटरा

ित्त्रये राही काहे तू
रीते काय ढ़लती छाया
जाते हुए थी कटी पतंग
आखरी मंज़िल सभी की
माटी का पलंग
माटी का पलंग