वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था - The Indic Lyrics Database

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था

गीतकार - गुलज़ार | गायक - जगजीत सिंग | संगीत - जगजित सिंग | फ़िल्म - Nil | वर्ष - 2005

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वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था
हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
कुछ और भी हो गया नुमाया
मैं अपना लिखा मिटा रहा था
उसी का ईमान बदल गया है
कभी जो मेरा खुदा रहा था
वो एक दिन एक अजनबी को
मेरी कहानी सुना रहा था
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था