वो हम न थे, वो तुम न थे - The Indic Lyrics Database

वो हम न थे, वो तुम न थे

गीतकार - असद भोपाली | गायक - मोहम्मद रफी | संगीत - इक़बाल कुरैशी | फ़िल्म - पारसमणी | वर्ष - 1963

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वो हम न थे, वो तुम न थे
वो हम न थे, वो तुम न थे
वो रहगुज़र थी प्यार की
लूटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
ये खेल था नसीब का, न हँस सके न रो सके
न तूर पर पहुँच सके, न दार पर ही सो सके
कहानी किससे ये कहें, चढ़ाव की उतार की
लूटी जहाँ पे बेवजह पालकी बाहर की
तुम ही थे मेरे रहनुमा, तुम ही थे मेरे हमसफ़र
तुम ही थे मेरी रोशनी, तुम ही ने मुझको दी नज़र
बिना तुम्हारे ज़िंदगी शमा है एक मज़ार की
लूटी जहाँ पे बेवजह पालकी बाहर की
ये कौन सा मुक़ाम है, फलक नहीं ज़मी नहीं
के शब नहीं सहर नहीं, के ग़म नहीं खुशी नहीं
कहाँ ये लेके आ गई हवा तेरे दयार की
लूटी जहाँ पे बेवजह पालकी बाहर की
गुज़र रही है तुमपे क्या बनाके हमको दर-ब-दर
ये सोचकर उदास हूँ, ये सोचकर है चश्मतर
ना चोट है ये फूल की, ना है ख़लिश ये ख़ार की
लूटी जहाँ पे बेवजह पालकी बाहर की