सबसे बड़ा नादान वोही है - The Indic Lyrics Database

सबसे बड़ा नादान वोही है

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर - जयकिशन | फ़िल्म - पहचान | वर्ष - 1970

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सबसे बड़ा नादान वोही है जो समझे नादान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सबकी है पहचान मुझे
दौलत है तेरे कदमों में, किस्मत है तेरे हाथों में
खुशियाँ हैं तेरी पलकों में, मस्ती है तेरी आँखों में
सब कुछ तुझको मालिक ने दिया मैं तुझको क्या दे सकता हूँ
एक रूप को भेंट की रिश्वत देना लगता है अपमान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सबकी है पहचान मुझे
कोई शान की खातिर पैसे को पानी की तरह बहाता है
कहीं बिन कीमत मालिक का दिया पानी पैसे से बिकता है
इस सभा की सुंदर चेहरों से रौनक तो बढती है लेकिन
रौनक वाले चेहरों के पीछे मिले हैं दिल सुनसान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सबकी है पहचान मुझे
धर्म कर्म सभ्यता मर्यादा नज़र ना आई मुझे कहीं
गीता ज्ञान की बातें देखो आज किसी को याद नहीं
माफ़ मुझे कर देना भाईयों झूठ नहीं मैं बोलूँगा
वोही कहूँगा आप से गीता से मिला है ज्ञान मुझे
कौन कौन कितने पानी में सबकी है पहचान मुझे