ऐ सनम, आज ये कसम खाएँ - The Indic Lyrics Database

ऐ सनम, आज ये कसम खाएँ

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - लता - तलत मेहमूद | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जहाँ आरा | वर्ष - 1964

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ऐ सनम आज ये कसम खाएँ
मुड़ के अब देखने का नाम ना लें
प्यार की वादियों में खो जाएँ
ऐ सनम आज ये कसम खाएँ
फ़ासले प्यार के मिटा डालें
और दुनिया से दूर हो जाएँ
इस मोहोब्बत के सिवा और ना कुछ याद रहें
इश्क दुनिया की तमन्नाओं से आज़ाद रहें
तेरी आँखों के सिवा ज़िन्दगी और है क्या
तेरी चाहत का नशा, बेखुदी और है क्या
जिस तरफ जाएँ बहारों के सलाम आएँगे
आसमानों से भी रंगीन पयाम आएँगे
तेरा जलवा है जहाँ, मेरी जन्नत है वहाँ
तेरे होठों की हंसी, सौ बहारों का समां
अपना ईमान फकत अपनी मोहब्बत होगी
हरघड़ी इश्क की एक ताज़ा कयामत होगी
देखकर रंग-ए-वफ़ा मुस्कुराएगा खुदा
और सोचेगा ज़रा, इश्क क्यो पैदा किया