तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लुंगा - The Indic Lyrics Database

तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लुंगा

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - नौनिहाल | वर्ष - 1967

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तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर लूंगा
सफ़र इक उम्र का पल में तमाम कर लूंगानज़र मिलाई तो पूछूँगा इश्क़ का अंजाम
नज़र झुकाई तो खाली सलाम कर लूंगाजहाँ-ए-दिल पे हुक़ूमत तुम्हें मुबारक हो
रही शिकस्त तो मैं अपने नाम कर लूंगा