कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नजर - The Indic Lyrics Database

कभी आर, कभी पार लागा तीर-ए-नजर

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - शमशाद बेगम | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - आर पार | वर्ष - 1954

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कभी आर, कभी पार, लागा तीर-ए-नज़र
सैय्या घायल किया रे, तू ने मोरा जिगर
कितना संभाला बैरी, दो नैनों में खो गया
देखती रह गयी मैं तो, जिया तेरा हो गया
दर्द मिला ये जीवन भर का, मारा ऐसा तीर नज़र का
लूटा चैन करार
पहले मिलन में ये तो दुनिया की रीत है
बात में गुस्सा लेकिन दिल ही दिल में प्रीत है
मन ही मन में लड्डू फूटे, नैनों में फुलझडीयाँ छूटे
होठों पर तकरार
मर्ज़ी तिहारी चाहे मन में बसाओ जी
प्यार से देखो चाहे, आँखों से गिराओ जी
दिल से दिल टकरा गये अब तो, चोट जिगर पर खा गये अब तो
अब तो हो गया प्यार