प्रेमि हुं पर्वतों से आज मैं तकरा गया: - The Indic Lyrics Database

प्रेमि हुं पर्वतों से आज मैं तकरा गया:

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - शब्बीर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - बेताब | वर्ष - 1983

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प्रेमी हूँ पागल हूँ मैं, पागल हूँ मैं, पागल हूँ मैं
रूप का सागर हूँ मैं, सागर हूँ मैं , सागर हूँ मैं
प्यार का बादल हूँ मैं
पर्वतों से आज मैं टकरा गया
तुम ने दी आवाज़ लो मैं आ गया (२)तुम बुलाओ मैं ना आऊं ऐसा हरजाई नहीं
इतने दिन तुमको ही मेरी (२) याद तक आई नहीं
आ गया जादू का मौसम आ गया
तुम ने दी आवाज़ लो मैं आ गया
हो हो पर्वतों से आज मैं टकरा गया
तुम ने दी आवाज़ लो मैं आ गयाउम्र ही ऐसी है कुछ ये तुम किसी से पूछ लो
एक साथी की ज़रूरत (२) पड़ती है हर एक को
दिल तुम्हारा इस लिये घबरा गया
तुम ने दी आवाज़ लो मैं आ गया
हो हो पर्वतों से आज मैं टकरा गया
तुम ने दी आवाज़ लो मैं आ गयाखोल कर इन बन्द आँखों को झरोखों की तरह
चोर आवारा हवा के मस्त झोंकों की तरह
रेशमी ज़ुल्फ़ों को मैं बिखरा गया
तुमने दी आवाज़ लो मैं आ गया
हो हो हो पर्वतों से आज मैं टकरा गया ...