शाम के सांवले चेहरे को निहारा जाये - The Indic Lyrics Database

शाम के सांवले चेहरे को निहारा जाये

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - वन्स मोर (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1990

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इसका रोना नहीं क्यूँ तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है कि बहुत देर से बरबाद कियाशाम के साँवले चेहरे को निखरा जाये
क्यूँ न साग़र में कोई चांद उभारा जायेरास आया नहीं तस्कीन का साहिल कोई
फिर मुझे प्यास के दरिया में उतारा जायेमेहरबाँ तेरी नज़र तेरी अदायें क़ातिल
तुझको किस नाम से ऐ दोस्त पुकारा जायेमुझको डर है तेरे वादे पे भरोसा कर के
मुफ़्त में ये दिल-ए-ख़ुश-फ़हम न मारा जायेजिसके दम से मेरे दिन रात दरख़्शाँ थे 'क़तील'
कैसे अब उसके बिना वक़्त गुज़ारा जाये