जागी हुई फिज़ाएं हैं तेरे झूठ मेरे झूठ - The Indic Lyrics Database

जागी हुई फिज़ाएं हैं तेरे झूठ मेरे झूठ

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - उदित नारायण | संगीत - नुसरत फतेह अली खान | फ़िल्म - और प्यार हो गया | वर्ष - 1997

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जागी हुई फ़िज़ाएं हैं तेरे लिए मेरे लिए
गाती हुई हवाएं हैं तेरे लिए मेरे लिए
फूलों में ताजगी सी है राहों में रोशनी सी है
दिन में भी चाँदनी सी है मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...लाई है कैसी खुशी
तेरे मेरे पहले प्यार में खोई खोई ज़िंदगी
कब ऐसा था समां कब थी दिलकशी
कलियों की चुनरी ढलकी है लहरों से मस्ती छलकी है
सपनों की दुनिया झलकी है मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...सुनती हैं यह वादियां धीरे धीरे
हौले हौले कहते हैं दो दिल
है जैसे थम गया मौसम का कारवां
भंवरे जो गुनगुनाते हैं दिल के तार सनसनाते हैं
मेरे सनम तेरे लिए मेरे लिए
जागी हुई फ़िज़ाएं हैं ...