वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग जलते हैं - The Indic Lyrics Database

वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग जलते हैं

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - फंटूश | वर्ष - 1956

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वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
कहो बुझें के जलें
हम अपनी राह चलें, या तुम्हारी राह चलें
बुझे तो ऐसे के जैसे किसी ग़रीब का दिल
जलें तो ऐसे के जैसे चिराग जलते हैं
ये खोई खोई नज़र
कभी तो होगी इधर या सदा रहेगी उधर
उधर तो एक सुलगता हुआ है वीराना
मगर इधर तो बहारों में बाग जलते हैं
जो अश्क पी भी लिए, जो होंठ सी भी लिए
तो सितम ये किस पे किए
कुछ आज अपनी सुनाओ, कुछ आज मेरी सुनो
खामोशियों से तो दिल और दिमाग जलते हैं