वो चांद खिला, वो तारे हँसे, ये रात अजब मतवाली है - The Indic Lyrics Database

वो चांद खिला, वो तारे हँसे, ये रात अजब मतवाली है

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जहाँ आरा | वर्ष - 1964

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वो चाँद खिला, वो तारे हँसे, ये रात अजब मतवारी है
समझने वाले समझ गये है, ना समझे वो अनाड़ी है
चाँदी सी चमकती राहें, वो देखो झूम झूम के बुलाए
किरणों ने पसारी बाहें के अरमां नाच नाच लहराए
बाजे दिल के तार, गाए ये बहार, उभरे है प्यार जीवन में
किरणों ने चुनरीया तानी, बहारे किस पे आज है दीवानी
चंदा की चाल मस्तानी, है पागल जिस पे रात की रानी
तारों का जाल ले ले दिल निकाल पूछो ना हाल मेरे दिल का