जहान तेरी ये नजर है मेरी जान मुजे कबर है - The Indic Lyrics Database

जहान तेरी ये नजर है मेरी जान मुजे कबर है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - कालिया: | वर्ष - 1981

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जहाँ तेरी ये नज़र है मेरी जाँ मुझे ख़बर है
बच न सका कोई, आये कितने
लम्बे हैं मेरे हाथ इतने
देख इधर यार, ध्यान किधर है
जहाँ तेरी ये नज़र है ...क्यों नहीं जानी तू ये समझता
काम नहीं ये है तेरे बस का
कुकुड़ु कुकू!
होश में आ जा ध्यान किधर है
जहाँ तेरी ये नज़र है ...मेरी तरफ़ जो उठा है तन के
कट के वही हाथ गिरा बदन से
सामने आये किस का जिगर है
जहाँ तेरी ये नज़र है ...चाल ये बन्दा ऐसी भी चल जाये
बन्द हो मुट्ठी और चीज़ निकल जाये
गिलि-गिलि-गिली गिल-गिल-गिल
ये भी करिश्मा देख इधर है
जहाँ तेरी ये नज़र है ...