अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आंखें - The Indic Lyrics Database

अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आंखें

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - सहगान, अजीज नाज़ान, बब्बन खान | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - शंकर हुसैन | वर्ष - 1977

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अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आँखें
मुर्झाई सी रहती है घबराई सी रहती हैं
माशूकों की महफ़िल में शर्माई सी रहती हैं
क्या जाने हुआ क्या है पत्थराई सी रहती हैं
अच्छा उन्हें देखा बीमार हुई आँखेंशोखी भी लुटा बैठी मस्ती भी लुटा बैठी
उठती है न झुकती हैं क्या रोग लगा बैठी
अच्छा उन्हें देखा बीमार हुई आँखेंकिस तरह हटे दर से वादा है सितमगर से
कहती है लगन दिल की वो चल भी चुके घर से
है फ़ासला दम भर का फिर देख सामा घर का
वो हिलने लगा चिलमन वो पर्दा-ए-दर सरका
लो आ ही गया कोई लो चार हुई आँखें सर्शार हुई आँखेंवो नक़ाब रुख़ से उठाए क्यों
वो बहार-ए-हुस्न लुटाए क्यों
सर-ए-बज़्म जल्वा दिखाए क्यों
तुम्हें अँखियों से पिलाए क्यों
के वो अपने नशे में चूर है
जो नशे में चूर रहे सदा
उसे तेरी हाल का क्या पता
रहा यूँ ही दिल का मुआमला
मगर उसकी कोई नहीं ख़ता
तेरी आँख का ये कसूर है
आँखों पे पड़ा पर्दा लाचार हुई आँखें
अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आँखेंहमने आज एक ख़्वाब देखा है ख़्वाब भी लाजवाब देखा है
कोई ताबीर इस की बतलाओ रात को आफ़्ताब देखा है
यानी ज़िंदा शराब देखोगे हुस्न को बे-नक़ाब देखोगे
रात को आफ़्ताब देखा है सुबह को माहताब देखोगे
चाँदनी में उठी घटा जैसे
दर-ए-मयख़ाना खुल गया जैसे
ये फ़साना सही हसीं तो है
नशे में रच गई अदा जैसेकोई तुम सा भी हो ना दीवाना
तुम हक़ीकत को समझे अफ़साना
चाँदनी उस का रंग ज़ुल्फ़ घटा
और आँखें हैं जैसे मैखाना
मयख़ाने में पहुँची तो मयख़्वार हुई आँखें
गुल्नार हुई आँखें ...
अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आँखेंदिल का न कहा माना गद्दार हुई आँखें
अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आँखेंलाचार हुई आँखें मयख़्वार हुई आँखें
अच्छा उन्हें देखा है बीमार हुई आँखें