ऐ दिल है मुशकिल जीन यहाँ - The Indic Lyrics Database

ऐ दिल है मुशकिल जीन यहाँ

गीतकार - मजरूह | गायक - रफ़ी, गीता | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - सी.आई.डी. | वर्ष - 1956

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ऐ दिल है मुशकिल जीन यहाँ
ज़रा हट के ज़रा बच के
ये है बम्बई मेरी जाँ

कहीं #बुइल्दिन्ग्# कहीं ट्रामे, कहीं #मोतोर्# कहीं #मिल्ल्#
मिलता है यहाँ सब कुछ इक मिलता नहीं दिल
इन्साँ का नहीं कहीं नाम-ओ-निशाँ

कहीं सत्त, कहीं पत्त कहीं चोरी कहीं रेस
कहीं डाक, कहीं फाँक कहीं ठोकर कहीं ठेस
बेकारो के हैं कई काम यहाँ

बेघर को आवारा यहाँ कहते हँस हँस
खुद काटे गले सबके कहे इसको #बुसिनेस्स्#
इक चीज़ के हैं कई नाम यहाँ

गी: बुरा दुनिया जो है कहता ऐसा भोला तू न बन
जो है करता वो है भरता ये जहाँ का है चलन
तदबीर नहीं मिलने की यहाँ
सुनो #मिस्तेर्#, सुनो बन्धु
ये है बम्बई मेरी जाँ

ऐ दिल है आसाँ जीना यहाँ
सुनो #मिस्तेर्#, सुनो बन्धु
येह है बम्बई मेरी जाँ

र: ऐ दिल है मुशकिल जीना यहाँ
ज़रा हट के ज़रा बच के
ये है बम्बई मेरी जाँ$