ऋतु आए ऋतु जाए सखी री - The Indic Lyrics Database

ऋतु आए ऋतु जाए सखी री

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता, मन्ना देयू | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - हमदर्द | वर्ष - 1953

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Gaud Sarang
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
मन के मीत न आए
जेठ महीना जिया घबराए
पल पल सूरज आग लगाए
दूजे बिरहा अगन लगाए
करूँ मैं कौन उपाय
ऋतु आए ऋतु जाए सखी री
Gaud Malhar
बरखा ऋतु बैरी हमार
जैसे सास ननदिया
पी दरसन को जियरा तरसे
अँखियन से नित सावन बरसे
रोवत है कजरा नैनन का
बिंदिया मोरे
बरखा ऋतु बैरी हमार
Jogiya
पी बिन सूना जी
पतझड़ जैसा जीवन मेरा
मन बिन तन ज्यूँ जल बिन नदिया
ज्यों मैं सूनी बिना साँवरिया
औरों की तो रैन अँधेरी
पर है मेरा दिन भी अँधेरा
पी बिन सूना जी
Bahar
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
फूल फूल पर भ्रमर गूँजत
सखी आए नहीं भँवर हमार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
कब लग नैनन द्वार सजाऊँ
दीप जलाऊँ दीप बुझाऊँ
कब लग करूँ सिंगार रे
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री
आई मधुर ऋतु बसंत बहार री, बहार री, बहार री