हर घड़ी ढल रहई शाम है जिंदगी - The Indic Lyrics Database

हर घड़ी ढल रहई शाम है जिंदगी

गीतकार - वसंत देवी | गायक - अमित कुमार | संगीत - अजीत वर्मन | फ़िल्म - सारांश | वर्ष - 1984

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हर घड़ी ढल रही शाम है ज़िंदगी
दर्द क दोओस्र नाम है ज़िन्दगि
हर घड़ी...
आस्मन है वहि
और वहि है ज़मेएन
है मुकाम गैर क
गैर है य हमेएन
अज्नबि आन्ख सि आज है ज़िन्दगि
दर्द क दोओस्र नाम है ज़िन्दगिक्योन खड़े राह मेइन
राह भि सो गयेए
अप्नि तो चओन भि
अप्ने से खो गयेए
भट्के हुए पन्चि कि रात है ज़िन्दगि
दर्द क दोओस्र नाम है ज़िन्दगि