ये कुछ के वक्त कैसी आवाज़ो - The Indic Lyrics Database

ये कुछ के वक्त कैसी आवाज़ो

गीतकार - | गायक - पहाड़ी सान्याल | संगीत - मिहिर किरण भट्टाचार्य | फ़िल्म - कारवां-ए-हयात | वर्ष - 1935

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ये कूच के वक़्त कैसी आवाज़
दिल के कानों में आ रही है
ये क्या बिसो???? है, ये क्या कशीश है
जो मुझ को वापस बुला रही हैबिछे हुए है ज़मीं पे मोती
shu_aa_e.N = waves of fireelectricity
शुआएँ बादल पे चल रही हैं
फ़िज़ाएँ रंगीं हैं ऐसी दिलकश
जो मुझ को वापस बुला रही हैंपरिंदे शाखों में गा रहे हैं
हवाएँ झूला झुला रही हैं
इन्हीं में कोयल की कूक भी है
जो मुझ को वापस बुला रही हैshajar-tree, sar+niguu.n-sar jhukaa huaa
nasiim-e-saharii = the gentle fragrant morning<ब्र>breeze
छुटा जो काँटों से अपना दामन
तो बढ़के दरिया में (बह रहा)??? है
शजर की हर शाख़ सरनिगूँ है
नसीम-ए-सहरी बुला रही है
ये कूच के वऽऽऽक़्त