सब में शामिल हो मगर सबसे जुदा लगती हो - The Indic Lyrics Database

सब में शामिल हो मगर सबसे जुदा लगती हो

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - बहू बेटी | वर्ष - 1965

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सब में शामिल हो मगर सबसे जुदा लगती हो
सिर्फ हमसे नहीं खुद से भी ख़फ़ा लगती हो
आँख उठती है न झुकती है किसी की ख़ातिर
सांस चढ़ती है न रुकती है किसी की ख़ातिर
जो किसी दर पे ना ठहरे वो हवा लगती हो
ज़ुल्फ़ लहराए तो आँचल मे छुपा लेती हो
होंठ थर्राये तो दातों में दबा लेती हो
जो कभी खुल के न बरसे वो घटा लगती हो
जागी जागी नज़र आती हो न सोयी सोयी
तुम जो हो अपने ख़यालात में खोयी खोयी
किसी मायूस मुसव्विर की दुआ लगती हो