आ मेरे हमजोली आ खेलें - The Indic Lyrics Database

आ मेरे हमजोली आ खेलें

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्म - जीने की राह | वर्ष - 1969

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आ मेरे हमजोली आ खेलें आँख मिचौली आ
गलियों में चौबारों में बाग़ों में बहारों में हो
मैं ढूँढूँ तू छुप जा
आ मेरे हमजोली ...
मैं आऊँ
न न
मैं आऊँ
न न न
मैं आऊँ
ना
मैं आऊँ
आ जा
पीपल के ऊपर जा बैठा छिप के मेरा साथी
धक से लेकिन धड़क गया दिल गिर गई हाथ से लाठी
ओ पकड़ा गया
ओ पकड़ा गया
मैं आऊँ
न न
मैं आऊँ
न न न
मैं आऊँ
ना
मैं आऊँ
आ जा
पनघट के पीछे जा बैठी छिप के मेरी सजनिया
छन से लेकिन अनजाने में छनक गई पैंजनिया
ओ पकड़ी गई
ओ पकड़ी गई
आ मेरे हमजोली ...
मैं आऊँ
न न
मैं आऊँ
न न न
मैं आऊँ
ना
मैं आऊँ
आ जा
ओ मेरे नयनों से तू छिप सकता है ओ मेरे रसिया
लेकिन मेरे मन से छिपना मुश्क़िल है मनबसिया
ऐ पकड़ा गया
ओ पकड़ा गया
मैं आऊँ
न न
मैं आऊँ
न न न
मैं आऊँ
ना
मैं आऊँ
आ जा
काहे लुक-छुप के खेल में छेड़े तू प्रेम की बतियाँ
देख तमाशा देख रही हैं सारे शहर की अँखियाँ
ओ पकड़ी गई
ओ पकड़ी गई
आ मेरे हमजोली ...