बादलों से काट काट के ये मुझे क्या हो गया - The Indic Lyrics Database

बादलों से काट काट के ये मुझे क्या हो गया

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपिंदर | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - सत्या | वर्ष - 1998

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( बादलों से काट-काट के
काग़ज़ों पे नाम जोड़ना ) -२
ये मुझे क्या हो गया
अरे ये मुझे क्या हो गयाडोरियों से बाँध-बाँढ के
रात भर चाँद तोड़ना
ये मुझे क्या हो गया -२( एक बार तुमको जब बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
) -२
तब से मेरी नींद में बरसती रहती हो
बोलती बहुत हो और laughहँसती रहती हो
जो तुझे जानता न हो
उससे तेरा नाम पूछना
ये मुझे क्या हो गया -३( देखो यूँ खुले बदन तुम
देखो यूँ खुले बदन गुलाबी साहिलों पे आया न करो
तुम नमक भरे समन्दरों में इस तरह नहाया न करो
सारा दिन चाँदनी सी छायी रहती है
और गुलाबी धूप बौखलाई रहती है
जामुनों की नर्म डाल पे
नाखुनों से नाम खोदनाये मुझे क्या हो गया -२बादलों से काट-काट के
काग़ज़ों पे नाम जोड़ना
डोरियों से बाँध-बाँढ के
रात भर चाँद तोड़ना
ये मुझे क्या हो गया