मेरे जीवन साथी, कली थी मैं तो प्यासी - The Indic Lyrics Database

मेरे जीवन साथी, कली थी मैं तो प्यासी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - साथी | वर्ष - 1968

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मेरे जीवन साथी, कली थी मैं तो प्यासी
तू ने देखा हुई खिल के बहार
मस्ती नज़र में कल के खुमार की
मुखड़े पे लाली है पिया तेरे प्यार की
खुशबू से तेरी तन को बसा के
लहराऊँ डाली सी तेरे गुलज़ार की
कहाँ का उजाला, अभी वो ही रात है
गोरी गोरी बाहों पे, जैसे तेरा हाथ है
बजती है चूड़ी तेरी धड़कन से
कानों में अबतक वही तेरी बात है
तुझ को मैं सजना बिंदीयां का प्यार दूँ
चुनरी के रंग से घर को संवार दूँ
ज़ुल्फों का गजरा, नैनों का काजल
तेरे नजराने हैं तुझ पे ही वार दूँ