क़िस्मत के आँचल ने - The Indic Lyrics Database

क़िस्मत के आँचल ने

गीतकार - केशव | गायक - रफी | संगीत - शैलेष | फ़िल्म - परिचय | वर्ष - 1954

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क़िस्मत के आँचल ने किसका पोंछ दिया सिंदूर
रूठ के किसका जीवन-साथी आज चला है दूर
क़िस्मत का लिखा न टले न कोई बस चले
यह क्या है ज़िन्दगी हाय ये क्या है ज़िन्दगी
पल-पल अँसुअन में ढले शमा सी जले
यह क्या है ज़िन्दगी हाय ये क्या है ज़िन्दगी
जीवन का बोझ उठाए कोई अपनी राह बनाए
जब सामने मंज़िल आए बेदर्द फ़लक मुस्काए
मंज़िल पे लुटे क़ाफ़िले गगन के तले
यह क्या है ज़िन्दगी
किरणों के पंख पसारे ले जीवन के उजियारे
धरती की माँग सँवारे लेकिन तक़दीर के मारे
नित शाम को सूरज ढले चिता सी जले
यह क्या है ज़िन्दगी