भारत की विधवा दुखियारी भारत की विधवा - The Indic Lyrics Database

भारत की विधवा दुखियारी भारत की विधवा

गीतकार - पंडित ज्ञान चंद्र | गायक - ना | संगीत - खुर्शीद खान | फ़िल्म - अबला | वर्ष - 1941

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भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

के दिन सारे होते नहीं एक समान

दो आँखों से देख अपने दाता की लीला

दाता की लीला

जो दुख तुझपे जीवन बनाये रंगीला

बनाये रंगीला

वो जिस रंग में रखे उसी रंग में हँसना

जो वो तुझपे ख़ुश है तो ख़ुश है जहान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

के दिन सारे होते नहीं एक समान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

न समझों ग़रीबों का कोई नहीं

दया मेरे मालिक की सोई नहीं

वो महलों से गलियों में ला के सुलाये

वो पल भर में तोड़ेगा दौलतसम्मान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

के दिन सारे होते नहीं एक समान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

वो कहते हैं जिसको रहीम और राम

वो अल्लाह ईशवर ख़ुदा जिसका नाम

वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार

देगा वही तुझको ख़ुशियों का दान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान

के दिन सारे होते नहीं एक समान

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान