सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया - The Indic Lyrics Database

सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - तलत महमूद | संगीत - रवि | फ़िल्म - एक साल | वर्ष - 1957

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करते रहे खिज़ा से हम सौदा बहार का
बदला दिया तो क्या ये दिया उनके प्यार का
सब कुछ लूटा के होश में आये तो क्या किया
दिन ने अगर चराग़ जलाये तो क्या किया
हम बदनसीब प्यार की रुसवाई बन गये
खुद ही लगा के आग तमाशाई बन गये
दामन से अपने शोले बुझाये तो क्या किया
ले ले के हार फूलों के, आई तो थी बहार
नज़रे उठा के हम ने ही, देखा ना एक बार
आँखों से अब ये परदे हटाये तो क्या किया
लता मंगेशकर
(न पूछो प्यार की हमने जो हक़ीक़त देखी
वफ़ा के नाम पे बिकते हुए उल्फ़त देखी
किसीने लूट लिया और हमें ख़बर न हुई
खुली जो आँख तो बर्बाद मोहब्बत देखी
सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चराग़ जलाए तो क्या किया
मैं वो कली हूँ जो न बहारों में खिल सकी
वो दिल हूँ जिसको प्यार की मज़िल न मिल सकी
पत्थर पे हमने फूल चढ़ाए तो क्या किया
जो मिल ना सका प्यार ग़म की शाम तो मिले
एक बेवफ़ा से प्यारा का अंजाम तो मिले
ऐ मौत जल्द आ ज़रा आराम तो मिले
दो दिन ख़ुशी के देख न पाए तो क्या किया )