इंसान क्यों रोटा है इंसां - The Indic Lyrics Database

इंसान क्यों रोटा है इंसां

गीतकार - | गायक - के एल सहगल | संगीत - लाल मोहम्मद | फ़िल्म - उमर खैय्याम | वर्ष - 1946

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इन्सान क्यों रोता है इन्सान
हर ग़म की दवा पेश है कर ऐश का सामानसुन बाँस की इस बाँसुरी के गीत सुहाने
सीने में हुए छेद तो गाती है तराने
मस्ती की यही शान
इन्सान क्यों रोता है ...हो लब पे हँसी से पे जो आफ़त तेरे मंडलाए
भर जाम ख़ुशी का जो मुसीबत की घटा छाए
दुख बहम है नादान
इन्सान क्यों रोता है ...