आसमां पे है कुड़ा और ज़मीन पे हमो - The Indic Lyrics Database

आसमां पे है कुड़ा और ज़मीन पे हमो

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मुकेश | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - फ़िर सुबह होगी | वर्ष - 1958

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आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम (२)
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हमआजकल किसी को वो टोकता नहीं,
चाहे कुछ भी किजीये रोकता नहीं
हो रही है लुट मार फट रहे हैं बम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हमकिसको भेजे वो यहाँ हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगीनत देवता हैं कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हमजो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जब उसे ही ग़म नहीं तो क्यों हमें हो ग़म
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम