दिल हि बुझा हुआ हो तो फसल ए बहार क्या - The Indic Lyrics Database

दिल हि बुझा हुआ हो तो फसल ए बहार क्या

गीतकार - नीलकंठ तिवारी | गायक - मुकेश | संगीत - अशोक घोष | फ़िल्म - निर्दोष | वर्ष - 1941

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दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल-ए-बहार क्या
साक़ी नचा, शराब हँसा, अब ??? क्यादुनिया चले चला है जब हसरतों का बोझ
साथी नहीं है, सर पे गुनाहों का बोझ क्या
दिल ही बुझा हुआ ...बाद-ए-पना क़ुज़ून ? है नाम-ओ-निशां किसीके
जब हम नहीं रहे तो रहेगा मज़ार क्या
दिल ही बुझा हुआ ...