मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे - The Indic Lyrics Database

मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - आये दिन बहार के | वर्ष - 1966

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मेरे दिल से सितमगर तू ने अच्छी दिल्लगी की है
के बन के दोस्त अपने दोस्तों से दुश्मनी की है
मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे
मुझे ग़म देनेवाले तू खुशी को तरसे
तू फूल बने पतझड़ का, तुझ पे बहार न आए कभी
मेरी ही तरह तू तड़पे, तुझ को करार न आए कभी
जिए तू इस तरह के ज़िन्दगी को तरसे
इतना तो असर कर जाए, मेरी वफ़ाएँ, ओ बेवफ़ा
एक रोज़ तुझे याद आए, अपनी जफाएँ, ओ बेवफ़ा
पशेमां हो के रोए, तू हँसी को तरसे
तेरे गुलशन से ज़्यादा, वीराँ कोई वीराना ना हो
इस दुनिया में कोई तेरा अपना तो क्या, बेगाना ना हो
किसी का प्यार क्या तू बेरूख़ी को तरसे