की टूट गई तड़क कर के देखी हमने बीच बजरिया - The Indic Lyrics Database

की टूट गई तड़क कर के देखी हमने बीच बजरिया

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, सहगान, सपना अवस्थी | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - वजूद | वर्ष - 1998

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हाय हाय हाय हाय
कि टूट गईदेखी हमने बीच बजरिया जुगनी जैसे कोई गुजरिया
अपने मन की बात सुनाए जुगनी नाचे जुगनी गाएसुनो दास्तां ये मेरी सुनो मेरी ये कहानी
कोई मेरा था दीवाना मैं भी जिसकी थी दीवानी
हाय कैसे थे इरादे जीने मरने के थे वादे
तोड़ी थीं दुनिया की रस्में खाई थीं उल्फ़त की कसमें
मैने खाई कसम थी सच्ची पर उसकी कसम थी कच्ची
कि टूट गई तड़क करके कि टूट गई ओएजब वो मिलने को आता था हां मेरे कैसे गुण गाता था हाँ
मुझको हूर परी कहता था हाँ मुझको देखता ही रहता था हाँ
कहता था जो भी हो जाए हम ना होंगे कभी पराए
चाहे सारी दुनिया रोके पर ये मिलन रहेगा होके
तेरे प्यार में वो जादू है के अब दिल में तू ही तू है
डाका डाला ना कोई चोरी मैने प्यार किया है गोरी
छोड़ूंगा ना बइयां तोरी पर ऐसी थी प्यार की डोरी
कि टूट गई ...जब थी मैं उसकी मनचाही हाँ मैं मंज़िल थी वो था राही हाँ
मैं धड़कन थी वो मेरा दिल हाँ मैं थी लहर वो मेरा साहिल हाँ
कैसे दिन थे कैसी रातें कैसी प्यारी थीं वो बातें
कैसी मौज में हम रहते थे कैसे खोए से रहते थे
कैसे रूठते और मनते थे कैसे झूठ मूठ बनते थे
आँखों में हैं वो तस्वीरें दिल पर चलती हैं शमशीरें
याद आती है वो दिलदारी पर झूठी थी उसकी यारी
कि टूट गई ...