मंजिल की धुन में झुमाते गाते चले चलो - The Indic Lyrics Database

मंजिल की धुन में झुमाते गाते चले चलो

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मुकेश | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अनोखी अदा | वर्ष - 1948

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मंज़िल की धुन मे झूमते गाते चले चलो-२
बिछड़े हुए दिलों को मिलाते चलो चलो
हाँ मिलाते चलो चलो(दो दिन की ज़िंदगी में कोई क्यूँ उठाये ग़म
कोई क्यूँ उठाये ग़म)-२
नग़्में ख़ुशी के सब को सुनाते चले चलो-२
बिछड़े ...(इन्सानियत तो प्यार मोहब्बत का नाम है
मोहब्बत का नाम है)-२
इन्सानियत की शान बढ़ाते चलो चलो
बिछड़े हुए ...(आज़ाद ज़िंदगी है तो बर्बाद क्यूँ रहे
बर्बाद क्यूँ रहे)-२
बर्बादियों से दिल को बचाते चले चलो-२
बिछड़े हुए ...मंज़िल ...