पंछी मेरे मन का आज उड़ा जाए - The Indic Lyrics Database

पंछी मेरे मन का आज उड़ा जाए

गीतकार - समीर | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - इंतेहा प्यार कि | वर्ष - 1992

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पंछी मेरे मन का आज उड़ा जाए
ऊँचे पहाड़ों को छू के चला जाए
होश छीन लिए मदहोश किए जाए
हुई मैं दीवानी हुईको : छम-छम-छम-छम-छमभीगे होंठों से शबनम चुराए
भँवरा कलियों का घूँघट उठाए
उड़ कर गुलशन से चंचल हवाएँ
सारी दुनिया में ख़ुश्बू लुटाएँ
इन बहारों में भी महकने लगी
चैन मेरा गया मैं बहकने लगी
छा गया दिल पे कोई नशाऐसे चढ़ा है दरिया का पानी
जैसे लहरों पे आई जवानी
ऊँचे-ऊँचे दरख़्तों के साथ
हर मुसाफ़िर के मन को लुभाए
है यही आरज़ू घर बसा लूँ यहीं
अब यहाँ से न मैं दूर जाऊँ कहीं
होगी ऐसी न कोई जगह
पंछी मेरे मन का ...