मुबारक हो छमा-छम सोना-चाँदी - The Indic Lyrics Database

मुबारक हो छमा-छम सोना-चाँदी

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - सुरैया, ##पुरुष स्वर##, सहगान | संगीत - एस एन त्रिपाठी | फ़िल्म - इनाम | वर्ष - 1955

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मुबारक हो
छमा-छम सोना-चाँदी घर में आ जाना मुबारक हो
ये है क़िस्मत का नज़राना ये नज़राना मुबारक हो
तुम्हारे दर पे सौ-सौ मोटरें आ कर खड़ी होंगी
हो हो
तुम्हारे दर पे सौ-सौ मोटरें आ कर खड़ी होंगी
रुपों की थैलियाँ कमरों के कोनों में गड़ी होंगी
हाय
अहा
क्या बात है
वाह
कमाई दूसरों की अपने घर लाना मुबारक हो
कमाई दूसरों की अपने घर लाना मुबारक हो
ये है क़िस्मत का नज़राना
ये है क़िस्मत का नज़राना
मुबारक हो
छमा-छम सोना-चाँदी घर में आ जाना मुबारक हो
तुम्हें कड़का जो कहते हैं
कड़का? क्या कहा?
तुम्हें कड़का जो कहते हैं वो तुमको शेख़ बोलेंगे
अरे तुम्हारे मुँह में घी-शक्कर
हो
तुम्हें कड़का जो कहते हैं वो तुमको शेख़ बोलेंगे
जो बैठो car to aage ba.Dh kar gate खोलेंगे
बढ़ा कर पेट तुमको सेठ बन जाना मुबारक हो
बढ़ा कर पेट तुमको सेठ बन जाना मुबारक हो
ये है क़िस्मत का नज़राना
ये है क़िस्मत का नज़राना
मुबारक हो
छमा-छम सोना-चाँदी घर में आ जाना मुबारक हो
तुझे शायद किसी चंचल परी से प्यार हो जाये
हो
तुझे शायद किसी चंचल परी से
हो
तुझे शायद किसी चंचल परी से प्यार हो जाये
बहुत मुमकिन है mister तेरा बेड़ा पार हो जाये
हाय
अहा
अरे जियो
किसी के दिल के बंगले में तेरा आना मुबारक हो
किसी के दिल के बंगले में तेरा आना मुबारक हो
ये है क़िस्मत का नज़राना
ये है क़िस्मत का नज़राना
मुबारक हो
छमा-छम सोना-चाँदी घर में आ जाना मुबारक हो
बनो तुम लखपती भइया दुआ है बस ये बांदी की
हो
बनो तुम लखपती भइया दुआ है बस ये बांदी की
हो हाथों में तुम्हारे हथकड़ी
हे मुँह सम्भाल के हाँ
हो हाथों में तुम्हारे हथकड़ी लेकिन हो चाँदी की
हाय
चाँदी की? फिर तो ठीक है
तुम्हें ज़ुल्फ़ों की फाँसी ले के मर जाना मुबारक हो
तुम्हें ज़ुल्फ़ों की फाँसी ले के मर जाना मुबारक हो
ये है क़िस्मत का नज़राना
ये है क़िस्मत का नज़राना
मुबारक हो
छमा-छम सोना-चाँदी घर में आ जाना मुबारक हो
हा