वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो - The Indic Lyrics Database

वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो

गीतकार - किदार शर्मा | गायक - Nil | संगीत - स्नेहल भटकर | फ़िल्म - फरियाद | वर्ष - 1964

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वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो
पुकारते हैं ये ज़मीन-ओ-आसमां शहीद हो
शहीद तेरी मौत ही तेरे वतन की ज़िन्दगी
तेरे लहू से जाग उठेगी इस चमन की ज़िन्दगी
खिलेंगे फूल उस जगह पे तू जहाँ शहीद हो
गुलाम उठ वतन के दुश्मनोंसे इन्तक़ाम ले
इन अपने दोनों बाजुओं से ख़न्जरों का काम ले
चमन के वास्ते चमन के बागबां शहीद हो
पहाड़ तक भी काँपने लगे तेरे जुनून से
तू आसमां पे इन्किलाब लिख दे अपने खून से
ज़मीं नहीं तेरा वतन है आसमां शहीद हो
वतन की लाज जिसको थी अज़ीज अपनी जान से
वो नौजवान जा रहा है आज कितनी शान से
इस एक जवां की खाक पर हर एक जवां शहीद हो
है कौन ख़ुशनसीब माँ कि जिसका ये चिराग है
वो ख़ुशनसीब है कहाँ ये जिसके सर का ताज़ है
अमर वो देश क्यों ना हो कि तू जहाँ शहीद हो