गीतकार - पंडित इंद्र | गायक - खुर्शीद | संगीत - बुलो सी रानी | फ़िल्म - मूर्ति | वर्ष - 1945
View in Romanअम्बुवा पे कोयल बोले
सजना, झुला जा हिंडोले
कलियों पे भँवरे डोले
सजना, झुला जा हिंडोलेझुला जा हिंडोले
हौले हौले
सजना, झुला जा हिंडोलेमैं पूजा करने आई
क्यों तुम ने प्रीत सिखाई
क्यों मन के घूंघट खोले
झुला जा हिंडोले ...मैं मालन बन के आऊँ
तोहे फूलों संग खिलाऊँ
मन मेरा खाये झोले
झुला जा हिंडोले ...