मैं कुश होना चाहुं - The Indic Lyrics Database

मैं कुश होना चाहुं

गीतकार - पं सुदर्शन | गायक - पारुल घोष, सुप्रोवा सरकार, हरिमती | संगीत - राय चंद बोराली | फ़िल्म - | वर्ष - 1935

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मैं ख़ुश होना चाहूँ ख़ुश हो न सकूँ
जब तक है तेरा चेहरा उदास
सिर पर संकट पड़े कभी रो न सकूँ
जब तक रहे तेरी आँखों में आसआनन्द नगर के बासी आनन्द लुटाने आए
दुनियाँ के दुखियाओं का दुख दर्द मिटाने आए
मेरी आँखों में प्रीत मेरे होंठों पे गीत
मेरे मन में है मीत मेरे जीवन में जीत
मुफ़्त में लूटो सभी दुख से छूटो सभी
आओ आओ हमारे पास