रज:सर पे क़दम की चैंय्या मुरलिया बाजे री - The Indic Lyrics Database

रज:सर पे क़दम की चैंय्या मुरलिया बाजे री

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - NA | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - भक्त सूरदास | वर्ष - 1942

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सीने में आग भड़कती है आँखों से पानी बहता है

सीने में आग भड़कती है आँखों से पानी बहता है
कुछ ऐसी चोट लगी दिल पर दिल रो-रो कर ये कहता है

ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -4

दिल तोड़ के मन का मीत गया
हम हार गये ग़म जीत गया
ख़ुशियों का ज़माना बीत गया
ख़ुशियों का ज़माना याद न कर

र : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -2

क्यूँ रोते हैं दो दीवाने
बेदर्द ज़माना क्या जाने
बेदर्द ज़माने से ऐ दिल
उम्मीद न रख फ़रियाद न कर

सु : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -2

पहले तो क़फ़स में क़ैद किया
सैय्याद ने फिर ये हुक़्म दिया
होंठों को सी अश्क़ों को पी
आँसू न बहा फ़रियाद न कर

सु : ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर -4