ख़बर क्या थी कि ग़म खाना पड़ेगा - The Indic Lyrics Database

ख़बर क्या थी कि ग़म खाना पड़ेगा

गीतकार - शकील | गायक - रफ़ी, शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - चांदनी रात | वर्ष - 1949

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किसे मालूम था दो दिन में सावन बीत जायेगा

किसे मालूम था दो दिन में सावन बीत जायेगा

तमन्नाएं हमरी यूँ तड़पती छोड़ जायेगा

सावन बीत जायेगा

किसे मालूम था

दिलएबेताब तेरी याद में आँसू बहायेगा

हमें रहरह के ये ज़ालिम ज़माना याद आयेगा

सावन बीत जायेगा

किसे मालूम था दो दिन में

ज़बाँ बेदर्दियाँ उस की न कहने पायेगी लेकिन

हमारी आँख का पानी कहानी कह सुनायेगा

सावन बीत जायेगा

किसे मालूम था

जहाँ वालों अरे हम ने किसी का क्या बिगाड़ा था

हमारी राह में भगवान भी काँते बिछायेगा

सावन बीत जायेगा

किसे मालूम था