गुसे में जो निहारा है उस हुस्न का क्या कहना - The Indic Lyrics Database

गुसे में जो निहारा है उस हुस्न का क्या कहना

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मुकेश | संगीत - रोशन | फ़िल्म - दिल ही तो है | वर्ष - 1963

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गुस्से में जो निखरा है उस हुस्न का क्या कहना
कुछ देर अभी हमसे तुम यूँ ही ख़फ़ा रहना -२इस हुस्न के सागर की इक बूँद चुरा लें हम -२
इन गर्म निगाहों को सीने से लगा लें हम -२
( पल भर इसी आलम में ) -२ ऐ जान-ए-अदा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...ये बहका हुआ चेहरा ये बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें -२
ये चढ़ती हुई धड़कन ये बढ़ती हुई साँसें -२
( सामान-ए-कज़ा हो तुम ) -२ सामान-ए-कज़ा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...पहले भी हसीं थीं तुम लेकिन ये हक़ीक़त है -२
वो हुस्न मुसीबत था ये हुस्न क़यामत है -२
( औरों से तो बढ़कर हो ) -२ खुद के भी सिवा रहना
कुछ देर अभी हमसे ...